नई दिल्ली। राशनकार्ड धारकों को मोदी सरकार बड़ी राहत देनी जा रही है। अब वह किसी एक दुकान से राशन खरीदने पर मजबूर नहीं होंगे, वह जब चाहें दुकान बदल पाएंगे। इससे दुकानदार की मनमानी पर भी लगाम लगेगी। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने इस नई योजना की जानकारी दी।
पासवान ने कहा कि देश भर से 82 प्रतिशत राशन कार्ड आधार से जुड़े हैं और राशन की दुकानों पर 2.95 लाख PoS मशीन स्थापित की गई हैं ताकि राशन प्रक्रिया को सुचारू रूप से स्थापित किया जा सके और चोरी को रोका जा सके। करीब 2.75 करोड़ नकली और अवैध राशन कार्ड हटा दिए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य सब्सिडी में रूपये 17,500 करोड़ प्रति वर्ष की बचत होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस धनराशि का इस्तेमाल नए लोगों को सब्सिडी प्रदान करने के लाभ के लिए किया जाएगा। आगे पढ़ें
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दुकान बदल पाएंगे
पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पोर्टेबिलिटी पर काम कर रही है और यह धीरे-धीरे विस्तारित होगा। उन्होंने कहा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पोर्टेबिलिटी लागू हो जाने के बाद लाभार्थी किसी विशेष उचित दर दुकान से राशन लेने के लिये बाध्य नहीं रहेंगे। पासवान ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से खाद्य आयोग के अध्यक्षों की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सार्वजनिक वितरण की पोर्टेबिलिटी लागू हो जाने के बाद लाभार्थी किसी विशेष उचित दर दुकान से राशन लेने के लिये बाध्य नहीं रहेंगे, वह अपनी हकदारी का राशन किसी भी उचित दर दुकान से लेने के लिय स्वतंत्र होंगे। यह व्यवस्था आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में पहले से ही चल रहा है। आगे पढ़ें
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इस तरह से काम करेगी व्यवस्था
पासवान ने कहा कि जहां राज्य खाद्य आयोग का गठन नहीं किया गया है या आंशिक रूप से गठन किया गया है वह उन राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखेंगे । केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि अब तक 20 राज्यों व केंद्र शासित राज्य क्षेत्रों में राज्य खाद्य आयोग की स्थापना की गई है। राज्यों को राज्य खाद्य आयोग की स्थापना और इसके कार्य करने के लिए पर्याप्त आजादी देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि यदि आवश्यक हो तो केंद्र सरकार, राज्य व केंद्र शासित राज्य क्षेत्रों में आवश्यक सहयोग का विस्तार करेगा। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और राज्य अथवा केंद्र शासित राज्य क्षेत्रों के खाद्य आयोग के अध्यक्ष के बीच यह पहली राष्ट्रीय स्तर की बैठक थी।
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